tag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post5153312330598937894..comments2023-07-04T05:27:59.917-07:00Comments on कशमकश: हैप्पी बर्थ डे पापा....अमृत उपाध्यायhttp://www.blogger.com/profile/08931606644590050492noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-40486714185378140652010-08-05T22:58:04.326-07:002010-08-05T22:58:04.326-07:0013 साल पहले 19 अक्टूबर 1997 को रामेश्वर उपाध्याय क...13 साल पहले 19 अक्टूबर 1997 को रामेश्वर उपाध्याय की हत्या कर दी गई।<br /><br />ओह.......!!<br />आदरणीय रामेश्वर जी को भावभीनी श्रद्धांजलि ....<br />उनसे परिचित नहीं थी ...आज आपके ब्लॉग पर राकेश जी की टिपण्णी के माध्यम से पहुंची<br />चौहत्तर के आंदोलन में अग्रणी भूमिका .....मीसा' के तहत नजरबंदी के दौरान ‘नागतंत्र के बीच’ उपन्यास की रचना, चर्चित कहानी संग्रह ‘दुखवा में बीतल रतिया’ और 'गृहयुद्ध' उपन्यास लिखा उन्होंने। बतौर पत्रकार 'नवभारत टाइम्स', 'धर्मयुग', 'श्रीवर्षा', 'रविवार','न्यूज ट्रैक' और 'सारिका' में लेखन .....<br />हमारे लिए गर्व की बात है हम आपसे मुखातिव हैं .....<br /><br />दरअसल मैंने कुछ और लिखा है उनकी याद में, लेकिन यादों को सिलसिलेवार काग़ज़ पर उतारते वक्त काफी लंबा लिख दिया मैंने। अब संकोचवश इसे नहीं जारी कर रहा हूं ...<br /><br />कोई बात नहीं आप उसे छोटे छोटे अंशों में क्रमवार डालते रहे ......<br /><br />हाँ तमाम रचनाकारों के साथ सचमुच ये दुर्लभ तस्वीरें हैं .......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-14390862696725560942010-08-04T06:46:50.955-07:002010-08-04T06:46:50.955-07:00(द संडे इंडियन के संपादक ओंकारेश्वर पांडेय जी की य...(द संडे इंडियन के संपादक ओंकारेश्वर पांडेय जी की ये प्रतिक्रिया ग्लोबल भोजपुरी मूवमेंट की वेबसाइट पर दी गई है...<br /> -अमृत उपाध्याय)<br /><br />भोजपुर के फायर ब्रांड पत्रकार थे रामेश्वर उपाध्याय<br /><br />रामेश्वर उपाध्याय से मेरी मुलाकात तब हुई, जब मैं आरा से ही प्रकाशित वीरभूमि और भोजपुर एक्सप्रेस का संपादन करता था.<br />प्रतिद्वंदी अखबार का होने के बावजूद रामेश्वर जी जिस आत्मीयता से मिले, मैं उसे कभी नहीं भूल सकता. उनके विचार अलग थे.<br />पर हमारे बीच राजनीतिक विचारधारा कभी आड़े नहीं आयी. आरा में रंगमंचीय गतिविधियों के लिए टाऊन हॉल की स्थापना के लिए जब आंदोलन हुआ तो हम सब साथ थे. आरा में अनेक मौकों पर हमें साथ काम करने का मौका मिला. उनके अंदर एक ज्वाला थी. जब बोलते थे, तो आग निकलती थी. जब लिखते थे तो कलम से क्रांति पैदा करने वाली चिंगारियां निकलती थी. उनका असमय चले जाना भोजपुर और भोजपुरी समाज के लिए एक ऐसी अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती.......<br /> --ओंकारेश्वर पांडेय<br /> <br />उनके होनहार पुत्र अमृत उपाध्याय ( महुआ टीवी के प्रतिभाशाली एंकर) ने उनकी स्मृति को अपने ब्लॉग में समेटने का भरसक प्रयास किया है.....<br /> <br />पूरा पढ़िए<br /> <br />http://bhojpurimovement.ning.comअमृत उपाध्यायhttps://www.blogger.com/profile/08931606644590050492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-3745472058888482592010-07-27T00:48:47.118-07:002010-07-27T00:48:47.118-07:00Aaj blog padhakar aankhe nam ho gayi. Amrit chcha ...Aaj blog padhakar aankhe nam ho gayi. Amrit chcha jee ko to maine dekha nahi par tumhare sath rahakar maine unhe kafi karib se jana hain. Par aaj blog padh kar aur unki tasveerein dekhakar unko aur kareeb se jana. Mere khyal se uneke janamdivas par ye sabse nayab tohfa hain.Aage tumse unki jeevan se judi aur bhi jankariyo ki ummid hain.....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16345761207870180774noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-15814603933546178532010-07-24T09:40:51.142-07:002010-07-24T09:40:51.142-07:00Rameshwar upadhyay hamare liye jinda rah pane ka e...Rameshwar upadhyay hamare liye jinda rah pane ka ehsas aur takat bankar har lamha saath hote hain aaj bhi.umra ke jitne ssal unka saath raha hamne unhen jana to sirf papa ke rup me!Batur rachnakar aur samaj me parivartan ka sahas kar usse takrajane wale vyktitwa ke rup me unke shakhshiyat ke nai khoj ka tumhara ye prayas sine me utar gaya.13 july ka ye nayab tohfa pakar maa ki aankhen bhar aain aur chehre par garva ka bhav utar aaya hai....tumhari didi.PRAGATI UPADHYAYhttps://www.blogger.com/profile/03157243827863617791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-39585541733576294952010-07-19T11:39:34.446-07:002010-07-19T11:39:34.446-07:00आप सभी को शुक्रिया..जल्दी ही संस्मरण ब्लॉग पर जारी...आप सभी को शुक्रिया..जल्दी ही संस्मरण ब्लॉग पर जारी करूंगा..अमृत उपाध्यायhttp://kasmakash.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-65469107152747597612010-07-15T00:47:07.372-07:002010-07-15T00:47:07.372-07:00मैं अपनी सहयोगी अभिलाषा से पूरी तरह से सहमत हूं......मैं अपनी सहयोगी अभिलाषा से पूरी तरह से सहमत हूं...shivanihttps://www.blogger.com/profile/18394870068746766846noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-22363665114504335242010-07-13T18:19:49.913-07:002010-07-13T18:19:49.913-07:00इस लेख और इसमें मौजूद तस्वीरों का आकाश पकड़कर समय ...इस लेख और इसमें मौजूद तस्वीरों का आकाश पकड़कर समय के पार उस दौर में उतर गया कहीं। मीसा की नज़रबंदी के बाद की तस्वीर में फैली धूप थोड़ी मलीन लगी और ठंडी भी बनिस्पत उसके जो चाचा जी के चेहरे से टकराकर लौट रही है। और हां...वो जो मुस्कुराहट दाढ़ी के पीछे से झांक रही है वही तो है उम्मीद...और जब तक ये मुस्कराहट है कलम से क्रांति की गुंजाइश कायम है। और ये बात भी यकीन के साथ कह सकता हूं अमृत, ये मुस्कुराहट एक पवित्र आत्मा का वो शीतल स्पर्श है जो तख्त-ओ-ताज हिला सकता है और हिंसक पशुओं को अपनी हरारत से पिघला सकता है। इस मुस्कुराहट को मैने आपमें देखा है इसे ज़िंदा रखिए। चाचा जी को मेरा शत् शत् नमन।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16885990187990290194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-61624521820194823652010-07-13T12:14:36.287-07:002010-07-13T12:14:36.287-07:00bhai, aapne ekdum bhawuk kar diya. achi shradhanja...bhai, aapne ekdum bhawuk kar diya. achi shradhanjali k bahaane bahut si jankari mili aur durlabh taswire bhi dekhne ko mili.tussi great ho amritanandvardhan priyavatsalamnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-29769270676724884602010-07-13T08:26:53.225-07:002010-07-13T08:26:53.225-07:00रामेश्वर उपाध्याय जी की मैने दो किताबें, नागतंत्र ...रामेश्वर उपाध्याय जी की मैने दो किताबें, नागतंत्र के बीच और दुखवा में बीतल रतिया पढ़ी है... और उन किताबों को पढ़ने से पता चलता है कि वो हमारे दौर के कितने बड़े साहित्यकार,पत्रकार थे... और ये भी कि आज के वैसे दौर में जहां व्यक्तिगत स्वार्थ और पूंजी की हुक्मरानी हावी होती जा रही है... शोषितों वंचितों की आवाज उठाने वाले कम होते जा रहे हैं... उनका न होना कितनी बड़ी क्षति है... सिर्फ उनके घर परिवार के लिए ही नहीं... समाज और देश के लिए भी... उनके लिए जिनकी आवाज को अपने लिखे में शामिल किया... जिनके पक्ष में हमेशा खड़े रहे... ऐसी अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई बेहद मुश्किल है... उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलिराम मुरारीhttp://pratishrutibuxar.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-83721626838889466782010-07-13T08:04:07.575-07:002010-07-13T08:04:07.575-07:00रामेश्वर उपाध्याय जी की मैने दो किताबें, नागतंत्र ...रामेश्वर उपाध्याय जी की मैने दो किताबें, नागतंत्र के बीच और दुखवा में बीतल रतिया पढ़ी है... और उन किताबों को पढ़ने से पता चलता है कि वो हमारे दौर के कितने बड़े साहित्यकार,पत्रकार थे... और ये भी कि आज के वैसे दौर में जहां व्यक्तिगत स्वार्थ और पूंजी की हुक्मरानी हावी होती जा रही है... शोषितों वंचितों की आवाज उठाने वाले कम होते जा रहे हैं... उनका न होना कितनी बड़ी क्षति है... सिर्फ उनके घर परिवार के लिए ही नहीं... समाज और देश के लिए भी... उनके लिए जिनकी आवाज को अपने लिखे में शामिल किया... जिनके पक्ष में हमेशा खड़े रहे... ऐसी अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई बेहद मुश्किल है... उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलिराम मुरारीhttp://pratishrutibuxar.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-5766364851531625052010-07-13T05:27:52.555-07:002010-07-13T05:27:52.555-07:00पिता पर बहुत कम लिखा गया है, मां की तुलना में...जि...पिता पर बहुत कम लिखा गया है, मां की तुलना में...जितना लिखा गया है, उसमें ये लेख सबसे संजीदा है.....नमन आपके पिताजी को...निखिल आनंद गिरिnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-79550862610140840312010-07-13T05:08:23.578-07:002010-07-13T05:08:23.578-07:00Yeh bahoot hi khubsoorat sardhanjali hai ek bete k...Yeh bahoot hi khubsoorat sardhanjali hai ek bete ki apne pita ke liye. kyunki aaj ke samay mai sanskaar kamjor padte ja rahe ahi aur aisi mai khoobsurat yado ko sanjona bahoot mahatwapurn hai. ishwar kare aap yu hi kamyabi ki rah badhte rahe apne pita ke ashirwad ke saath.Shweta RAshmihttp://krantikarisipahiblogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-23053720575928913762010-07-13T02:52:42.816-07:002010-07-13T02:52:42.816-07:00बहुत अच्छा लागल भईया पढ़ के जानकारी...
चाचा जी स...बहुत अच्छा लागल भईया पढ़ के जानकारी... <br /><br />चाचा जी से जुड़ल संस्मरण के भी जरूर लिखीं, इंतेजार बा....<br /><br />चाचा के हमरा तरफ से श्रद्धांजली....निरंजन दुबेhttp://www.apnajahan.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-56939998278149166752010-07-13T00:15:17.744-07:002010-07-13T00:15:17.744-07:00बेहद दिलचस्प और मार्मिक। आपने अपने पिताजी से जुड़े...बेहद दिलचस्प और मार्मिक। आपने अपने पिताजी से जुड़े संस्मरण को लिखने का जो वायदा किया है, उम्मीद है उसे जल्द निभाएंगे।संजीवhttps://www.blogger.com/profile/07295670383547217780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-43774016636676293992010-07-12T23:34:15.355-07:002010-07-12T23:34:15.355-07:00मुझे याद है जब पहली बार "दुखवा में बीतल रतिया...मुझे याद है जब पहली बार "दुखवा में बीतल रतिया" किताब मेरे हांथ में आई थी और जब तक रही मैं कई बार रोई...कैसा था वो ज़माना...कमियों में गुज़ारा करते हुए भी समाज की दिशा बदलने की जबर्दस्त इच्छाशक्ति,कई बार उनके पात्रों में अंकल की झलक देखी मैने..और इन तस्वीरों में वो धुंधला चेहरा साफ दिख रहा है। गर्व है हमें भी कि इस महान व्यक्ति का अंश -अमृत उपाध्याय...हमारा दोस्त है। उनकें सपनो को साकार करो यही दिली चाह है...उन्हे भाव-भीनी श्रद्धांजली।dehrihttps://www.blogger.com/profile/02141502037808277749noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-18695139270175485232010-07-12T22:32:53.497-07:002010-07-12T22:32:53.497-07:00बहुत अच्छी जानकारी दी है अपने पापा के बारे मे उन्ह...बहुत अच्छी जानकारी दी है अपने पापा के बारे मे उन्हें विनम्र श्रद्धाँजली। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1352786988677325099.post-1173695570862572712010-07-12T19:13:11.248-07:002010-07-12T19:13:11.248-07:00बहुत बढ़िया...सबसे पहले मै भावभिनी श्रृदांजली अर्प...बहुत बढ़िया...सबसे पहले मै भावभिनी श्रृदांजली अर्पित करता हूं...हां ये सही है कि वो हमारे बीच नहीं है.लेकिन उनकी लिखी हुई किताबे,उपन्यास वो सब मौजूद है जो उनकी मौजूदगी दर्ज कराती है...वे है हमारे बीच ना सहीं लेकिन हमारे दिल में जरुर है... धन्यवाद सर आपने बहुत अच्छे तरह से इसे प्रस्तुत किया...आलोक कुमार अप्पूnoreply@blogger.com