Monday, March 29, 2021

थोड़-सा 'मैं'

 तेरे भीतर 

थोड़ा-थोड़ा

मैं बसता था।


आँखों में तेरे

थोड़े आँसू 

मेरे थे।


तेरे धड़कन की

थोड़ी साँसें 

मेरी थीं।


चेहरे में तेरे

मैं भी थोड़ा दिखता था।


रातों में चांद की

थोड़ी चांदनी  

मेरी थी।


तेरे सपनों में 

मेरी यादों का 

 हिस्सा था।


तेरे भीतर का

 थोड़ा-सा मैं

 टूट गया हूँ।


तुझमें खुद के

बिखरे टुकड़ों को

ढूँढ रहा हूँ।

          -- अमृत उपाध्याय

Friday, March 26, 2021

'मैं' और 'वह'

 फ़रेब ओढ़ने की हुनर से

तय होंगे

 ज़िंदगी के रास्ते 


नक़ाब की परत-दर-परत

बढ़ती जाएगी

तज़ुर्बे की शोहरत 


आईने के उस पार

दरकती जाएगी

मेरी परछाईं


'मैं' धीरे-धीरे

बन जाएगा 

'वह'


एक दिन जब तुम्हारी नज़रें

खोजेंगी मुझे 'उसके' हासिल में

'मैं' नहीं मिलूंगा तुम्हें

कभी भी, कहीं भी।

                 - अमृत उपाध्याय