Wednesday, June 2, 2021

बुनी हुई बातें

           

बुनी हुई बातों में

साँसें नहीं होतीं।

ठहाके,सिसकियाँ

उत्साह,गुदगुदी

दुःख,पीड़ा

आस,उम्मीद

थकान,आवेग

सबके बावजूद

मुर्दा होती हैं

बुनी हुई बातें।

           -अमृत उपाध्याय

           (Amrit Upadhyay)