Tuesday, June 15, 2010
रेलवे की बदहाली पर एविएशन की चांदी
टिकट नहीं मिल रहे हैं आजकल...जल्दी में जाना है तो भूल जाइए,तत्काल में टिकट लेना सपना हो गया है जिसका पूरा होना बेहद मुश्किल है...ऐसे में टिकट लें तो कैसे..सोचकर रोआं सिहर जा रहा है कि तत्काल में टिकट कैसे हो..किस दरबार पर दस्तक दी जाए.....ममता दीदी के राज में हालत खस्ता है,जो लोग मुंह भर-भर के लालू यादव के रेलवे राज को कोसते रहे थे वो भी अब कह रहे हैं लालू यादव रेलमंत्री थे तो ठीक था, कम से कम कुछ जुगाड़ हो जाता था...वीवीआईपी कोटा में कटौती कर के 24 पर ला दिया गया है तो सोर्स पैरवी का भी जमाना लद गया...अभी आरा जाना था तो मैंने भी खूब नाक रगड़ी टिकट नहीं मिला, खैर भला हो इस नौकरी का जिसकी बदौलत बने सरोकार की वजह से जा सका..अब उड़ीसा जाना है ...नक्सली लगातार ट्रेनों को निशाना बना रहे हैं..नक्सली इलाकों से होकर गुजरने वाली ट्रेनों को अब रात में नहीं चलाया जा रहा है...समस्या के समाधान का ये तरीका बेहद आश्चर्यजनक है..सरकार एक तरफ लोहा लेने का दावा करती है दूसरी तरफ घुटने टेकने वाले डिसीजन्स....चले जाइए किसी भी वक्त उन ट्रेनों में या फिर दिल्ली स्टेशन पर पता चल जाएगा सुरक्षा के लिए सरकार के हाय हाय का सच...सरकार ने ट्रेन या प्लेटफॉर्म्स की सुरक्षा बढ़ाने की बजाए ट्रेन को 24-25 घंटा देरी कर चलाने का निर्णय ले लिया..मतलब सुरक्षा हर कीमत पर....आईआरसीटीसी का साइट जब निराश कर देता है तो तुरंत उंगलियां टिपटिपानी पड़ती हैं फ्लाइट की पोजिशन देखने के लिए। इस बार उड़ीसा जाने के लिए मेक माई ट्रिप का साइट खोला, सोच रखा था मैंने,चार या साढ़े चार हजार या फिर ज्यादा से ज्यादा पांच हजार रूपए जेब से ढीले करने पड़ेंगे, पहुंच जाउंगा जगह पर, लेकिन नहीं कम से कम सात हजार के करीब का टिकट....अब सवाल ये कि आखिर हरेक रूट की तमाम ट्रेनों के पैक होने के बावजूद स्पेशल ट्रेनों की संख्या में इजाफा नहीं करना, मीडिया द्वारा दलालों का टिकट ब्लैक करने की खबर दिखाना और रेलवे की उसपर हामी के बावजूद धड़ल्ले से दलालों का रेलवे पर राज, ममता दीदी का रेलवे की तरफ पीठ कर बंगाल की सियासत पर ढीठ गड़ाए रखना,क्या ये सब महज संयोग है...भगवान करें संयोग ही हो लेकिन कुछ दिन पहले एयर इंडिया को लेकर मीडिया में आ रही खबरों पर जरा फिर से गौर करिए एक बार, फ्लैशबैक में जाकर, एयर इंडिया की हालत ऐसी है कि उसे मदद की दरकार पहले से ही थी, एविएशन लाइन भारत में बुरे दौर से गुजर रहा है, सरकार ने आर्थिक मदद को लेकर हाथ खड़े कर दिए, एयर इंडिया के कर्मचारी रोज हड़ताल पर ही रहते हैं, तमाम बडे उद्योगपति एयरलाइंस में जिनका इन्वेस्टमेंट है और जिनके सरकारी नुमाइंदों के साथ सरोकार को देखने से ज्यादा समझना पड़ता है, उनकी सरकार से गुहार....रेलवे में टिकट की मारामारी के बाद फ्लाइट्स के लिए लोग अमूमन ट्राई करते हैं, वैसे लोग भी जो अक्सरहां तो फ्लाइट से नहीं चलते हैं लेकिन इतना खर्च वहन कर सकते हैं कि जरूरत ज्यादा हो तो उड़ान भर सकें....ऐसे में कहीं मिडिल क्लास के पॉकेट से पैसे उगलवाने का ये सरकारी फॉर्मूला भी हो सकता है इससे इनकार नहीं किया जा सकता...क्योंकि रेलवे की बदहाली पर एविएशन की चांदी है इस वक्त...तो जरा सोचिए कि भोपाल गैस कांड के आरोपी वॉरेन एंडरसन को देश से भगा देने वाली कांग्रेस की सरकार क्या एविएशन को बुरे दौर से उबारने के लिए ये चालाकी नहीं कर सकती...
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मिलते हैं न जुगाड़ से. जब साइट बन्द कर दी जाती है. साइट की घड़ी में हेरफेर कर दी जाती है, जिससे दस बजे भी साइट कहती है कि अभी आठ नहीं बजे. तब मिलते हैं उन एजेन्टों से जो अन्दरखाने बुकिंग करा देते हैं...
ReplyDeleteकौन जाने क्या खेल है.
ReplyDeleteरेल प्रतीक्षा में है कि जब एवीएशन की भद्द पिटेगी तो बदले में ये भी चांदी काटेंगे
ReplyDeleteसारे सरकारी कार्यालयों की तरह यहाँ भी काफी घपले होते है. अक्सर अगर आपकी ट्रेन की टिकेट वेटिंग या RAC है और वो अंत तक कन्फर्म नहीं होती है. लेकिन फिर भी अगर आप यात्रा करेंगे तो पाएंगे की ट्रेन के उसी डिब्बे में कई सीटे खाली है और कई बार ट्रेन के अन्दर टीटी आपको सीट दे देता है.
ReplyDeleteकुछ भी हो सकता है
ReplyDeleteखुद्दार एवं देशभक्त लोगों का स्वागत है!
ReplyDeleteसामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले हर व्यक्ति का स्वागत और सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक कर्त्तव्य है। इसलिये हम प्रत्येक सृजनात्कम कार्य करने वाले के प्रशंसक एवं समर्थक हैं, खोखले आदर्श कागजी या अन्तरजाल के घोडे दौडाने से न तो मंजिल मिलती हैं और न बदलाव लाया जा सकता है। बदलाव के लिये नाइंसाफी के खिलाफ संघर्ष ही एक मात्र रास्ता है।
अतः समाज सेवा या जागरूकता या किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को जानना बेहद जरूरी है कि इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम होता जा है। सरकार द्वारा जनता से टेक्स वूसला जाता है, देश का विकास एवं समाज का उत्थान करने के साथ-साथ जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों द्वारा इस देश को और देश के लोकतन्त्र को हर तरह से पंगु बना दिया है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, व्यवहार में लोक स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को भ्रष्टाचार के जरिये डकारना और जनता पर अत्याचार करना प्रशासन ने अपना कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं। ऐसे में, मैं प्रत्येक बुद्धिजीवी, संवेदनशील, सृजनशील, खुद्दार, देशभक्त और देश तथा अपने एवं भावी पीढियों के वर्तमान व भविष्य के प्रति संजीदा व्यक्ति से पूछना चाहता हूँ कि केवल दिखावटी बातें करके और अच्छी-अच्छी बातें लिखकर क्या हम हमारे मकसद में कामयाब हो सकते हैं? हमें समझना होगा कि आज देश में तानाशाही, जासूसी, नक्सलवाद, लूट, आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका एक बडा कारण है, भारतीय प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अफसरों के हाथ देश की सत्ता का होना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-"भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (बास)- के सत्रह राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से मैं दूसरा सवाल आपके समक्ष यह भी प्रस्तुत कर रहा हूँ कि-सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! क्या हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवक से लोक स्वामी बन बैठे अफसरों) को यों हीं सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस संगठन से जुडना चाहे उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्त करने के लिये निम्न पते पर लिखें या फोन पर बात करें :
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
fir bhi tikit kongres ko ?
ReplyDeletekongres kaa haath naksaliyon ke saath .
badhi ,saamayik lekhan ke liye .
veerubhai1947.blogspot.com
वीरूभाई कांग्रेस का हाथ नक्सलियों का साथ....मजेदार कमेंट के लिए शुक्रिया
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